Wednesday, October 3, 2012

“CIVIC CENTER DELHI सिविक सेन्टर (दिल्ली की सबसे विशाल इमारत)”

दिल्ली या कहो कि नई दिल्ली, जिसे दुनिया में भारत INDIA की राजधानी के नाम से जाना पहचाना जाता है, दिल्ली को भारत की राजधानी बने सौ साल से ज्यादा हो चुके है। यह भारत की राजधानी दिल्ली वर्तमान में कोई सौ साल पहले 1911 में अंग्रेजों ने इसको अपनी राजधानी बनाया था। दिल्ली को राजधानी बनाने से पहले कलकत्ता भारत की राजधानी हुआ करता था। दिल्ली को राजधानी बनाने के बाद यहाँ पर अंगेजों ने बहुत सारी ईमारते बनवायी थी, उनमें कुछ है, इण्डिया गेट, राष्ट्रपति भवन, कनाट प्लेस, लोहे का पुल, आदि बहुत कुछ बनवाया था। अंग्रेजों ने, अरे हाँ एक बात और दिल्ली तो पहले भी भारत की राजधानी हुआ करती थी। मुगल भी इसके पीछे लगे रहे। महाभारत काल के पांडव भी यही से अपना राजकाज चलाते थे। मुगलों के समय में तो यहाँ कई इमारतों का निर्माण किया गया था। उनमें से लाल किला, जामा मस्जिद प्रमुख है। कुतुब मीनार तो कुतुबदीन ने बनवाई थी। अब आजादी के बाद भारत सरकार ने भी इस शानदार शहर में कुछ बनवाया था या नहीं यह ध्यान देने वाली बात थी। काफ़ी गौर किया तो पाया कि भारत सरकार ने दरियागंज के पीछे यमुना किनारे नेताओं की कब्र या कहे उनके अंतिम संस्कार स्थल पर समाधी बनाने के अलावा और कोई मुख्य कार्य नहीं किया था। अब जाकर दिल्ली में एक ऐसी विशाल इमारत का निर्माण कार्य हुआ है जिस पर दिल्ली वासी गर्व कर सके। दिल्ली में गर्व करने वाली जिस इमारत के बारे में मैं बताने जा रहा हूँ उसका नाम है सिविक सेन्टर, दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय “सिविक सेन्टर” मात्र नाम नहीं है, बल्कि एक पहचान है, जिस पर दिल्ली को इसकी शान पर गर्व है। यह वर्तमान में दिल्ली की सबसे विशाल व ऊँची इमारत है। यह इमारत जमीन से ऊपर मात्र अठाईस मंजिल है, व ऊपर आकाश छूती मंजिलों के अलावा तीन मंजिल जमीन के नीचे भी बनाई हुई है, तहखाने में बनी तीनों मंजिलों में केवल पार्किंग है। 101 मी ऊँचीई वाली यह इमारत देखने में भी बहुत सुन्दर है। यह इमारत नई दिल्ली रेलवे व नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन के पास ही है।

रामलीला मैदान से लिया गया फ़ोटो है।


सडक पार से लिया गया फ़ोटो है।

 

एक फ़ोटो यहाँ से भी।


यह कहना तो बेकार सा लगता है कि यह इमारत कहाँ-कहाँ से दिखाई दे जाती है, अगर मौसम साफ़ है तो आप दिल्ली के लगभग सौ किलोमीटर लम्बे रिंग रोड पर बनी किसी भी ऊंची बिल्डिंग के ऊपर खडे होकर इसे देख सकते हो, यह इमारत पूरे पाँच साल में बन कर तैयार हुई है, और केवल 600 सौ करोड रुपये इसको बनाने का बजट था। दिल्ली नगर निगम पहले पूरी दिल्ली में एक ही विभाग हुआ करता था लेकिन अब इसको तीन भागों में विभाजित करने का कार्य प्रगति पर है, उसके बाद देखते है, कि यह स्थल किस निगम का कार्यालय बना रहता है। इस इमारत पर दिल्ली सरकार की नजर लगी हुई है, और भविष्य में सम्भव भी है, कि यह दिल्ली सरकार के मुख्यालय में बदल जाये। इस ईमारत में छोटे-छोटे कमरे ना होकर, बडॆ-बडे विशाल हॉल है, जिनमें बैंक की तरह, कार्य करने के स्थल बनाये हुए है। इमारत की सभी मंजिल पूर्णतय: वातानुकूलित बनायी गयी है, चाहे लिफ़्ट हो या गैलरी, हर कही मौसम की मार से बचे रहते है। दिल्ली नगर निगम में कुल सवा लाख कर्मचारी कार्य करते है, जिस कारण यह विश्व का सबसे बडा/या दूसरा सबसे बडा नगर निगम भी है।

ग्रिल के एकदम पास से लिया गया।


यह रहा प्रवेश द्धार,


अन्दर घुसते ही ये नजारा है।


यहाँ से लालकिला, कुतुबमीनार, कमल का मन्दिर, जामा मस्जिद, कनॉट प्लेस, लोहे का पुराना पुल, इन्डिया गेट, राष्ट्रपति भवन, कमल का मंदिर, बिरला मंदिर आदि सभी इमारते नजर आती है, अगर हम यहाँ की सबसे ऊपर की मंजिल पर खडॆ हो जाये तो। यहाँ की इमारत में एक गजब बात और है कि यहाँ पर मोबाइल में नेटवर्क भी पहाड का यानि कि उतराखण्ड का पकडने लगता है मोबाइल पर sms आने लगते है कि आपका उतराखण्ड में स्वागत है, अगर कोई नया बन्दा यहाँ आये तो वो तो सोच में पड ही जायेगा। अरे हाँ पिछले वर्ष चार जून की आधी रात को दिल्ली पुलिस ने सोते हुए लोगों पर जो कहर बरपाया था यह इमारत उस घटना की मूक गवाह है। बाबा रामदेव पर रात के अंधेरे में किये गये कायरता पूर्ण हमले के कारण प्रसिद्ध रामलीला मैदान तो इस विशाल इमारत के एकदम सामने ही है। इस इमारत और रामलीला मैदान के बीच में सिर्फ़ सडक भर का फ़ासला है। आमतौर पर आजकल के सुखी लोग इतने आलसी हो गये है कि जिस इमारत में लिफ़्ट में लगी हो वे पैदल भी एक मंजिल भी पैदल नहीं चढना चाहते है। यही हाल भी इस इमारत में कार्य करने वाले कर्मचारियों का हो चुका है शायद ही कोई कर्मचारी ऐसा होगा जो लिफ़्ट का प्रयोग किये बिना किसी मंजिल पर आना-जाना करता होगा। साफ़ सफ़ाई व सुरक्षा का अच्छा प्रबंध किया गया है। यहाँ कार्य करने वाले कर्मचारी तो अपना पहचान पत्र दिखाकर प्रवेश कर जाते है, लेकिन बाहरी व्यकित को अपना नाम पता, कार्य उद्धेश्य बता कर ही अन्दर जाने का पास दिया जाता है। बाहरी लोगों का प्रवेश भी अलग द्धार से किया जाता है।

देखते रहो,


भीमकाय इमारत के एकदम पास में जाकर,


ताऊ टोपी पकड, गिर जायेगी।


यह पाताललोक का मार्ग, यानि वाहन ठहराव स्थल का।


लिफ़्ट की ओर जाते हुए।


लिफ़्ट के बाहर।


एक साथ छ: छ: लिफ़्ट।


यह कर्मचारियों की कार्य स्थली है।


ये रहा आपातकालीन निपटने का स्थान।


जीना/सीढियों का।


जीने/सीढियों से नीचे देखते हुए


जीना/सीढियों में ऊपर की ओर


वो सामने कनॉट प्लेस का नजारा


ऊपर से नीचे सडक व रामलीला मैदान का नजा

 

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